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Shivoham

Shivoham Shivoham For Shiva’s Blessings

Reading Time: 1 minute

Lyrics Sanskrit

शिवोहम शिवोहम शिव स्वरूपहम,
नित्योहम शुद्धोहम बुद्धोहम मुकतोहम,
शिवोहम शिवोहम शिवा स्वरूपहम

अद्वैतंम आनंद रूपम अरूपम,
ब्रह्मोहम ब्रह्मोहम ब्रह्म स्वरूपहम,
चिदोहम चिदोहम सतचिदानंदोहम, शिवोहम शिवोहम शिवा स्वरूपहम

Lyrics English

Shivoham Shivoham Shiva Swaroopoham
Nityoham Shuddhoham Buddhoham Muktoham
Shivoham Shivoham Shiva Swaroopoham

Advaitamananda Roopam Aroopa
Brahmoham Brahmoham Brahma Swaroopoham
Chidoham Chidoham Satchidanandoham
Shivoham Shivoham Shiva Swaroopoham

Meaning

I am Shiva. I am the very form of the unbounded consciousness.
I am eternal. I am pure. I am intelligent. I am free.
I am Shiva. I am the very form of the unbounded consciousness.

The bliss of non-duality, that which is in all forms and yet formless.
I am Brahman. I am the very form of Brahman.
I am consciousness. I am the bliss of consciousness which is the one Truth.
I am Shiva. I am the very form of the unbounded consciousness.

Detailed Meaning in Hindi

मैं ब्राह्मण हूं (विशुद्ध अखंडित चेतना)। मैं ब्रह्म हूं। मैं ब्रह्म का ही रूप हूँ।मैं चैतन्य हूं। मैं चैतन्य हूं। मैं चैतन्य हूं, जो एक सत्य है। मैं शिव हूँ (विशुद्ध अखंडित चेतना)। मैं अबाधित चेतना हूं। मैं अबाधित चेतना का सबसे बड़ा रूप हूं। शाब्दिक रूप से, “शिवोहम” का अर्थ है “मैं शिव हूँ”। शिव शुद्ध अखण्ड अखण्ड चेतना (पारलौकिक स्व, निरपेक्ष) है।

शिव स्वरूपहम : मैं ही शिव रूप हूँ पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा हूँ।
शिवोहम: मैं शिव हूँ, शिव शुद्ध सकारात्मक ऊर्जा के शुद्धतम रूप हैं, शुद्ध बिना शर्त प्रेम के, शिव ही सम्पूर्ण है और शिव के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।
नित्योहम : मैं वर्तमान में हूँ। भाव है की श्री शिव ही वर्तमान है और उन्हें याद करने पर भूत और भविष्य की चिंता समाप्त हो जाती है।
शुद्धोहम : शिव ही शुद्ध है। श्री शिव के अतिरिक्त कुछ भी शुद्ध नहीं है।
बुद्धोहम : मैं ही ज्ञान हूँ। यहाँ बुद्ध से अभिप्राय किसी के नाम से नहीं है बल्कि शुद्ध ज्ञान से है।
मुकतोहम: मैं आज़ाद हूँ। आजाद से अभिप्राय है की मुझे कोई बंधन जकड़ नहीं सकता है और मैं सभी आसक्तियों से स्वतंत्र हूँ।
अद्वैतंम : मैं एकल हूँ। अभिप्राय है की मुझे किसी दूसरे में नहीं ढूँढो।

आनंद रूपम : मैं ही कल्याणकारी रूप में हूँ।
अरूपम : मैं ही हूँ जिसका कोई रूप भी नहीं है, जिसे आकार दिया जा सके।
ब्रह्म स्वरूपहम : मैं ही ब्रह्म रूप में हूँ।
चिदोहम: मैं ही चेतना हूँ, मैं ही चेतन स्वरुप हूँ। मैं जीवंत हूं। मैं जीवन से भरा हुआ हूं। मैं शुद्ध ऊर्जा और शुद्ध चेतना हूं।
सतचिदानंदोहम : मैं निर्मल और कल्याणकारी आत्म रूप हूँ। मैं ही सत्य चित्त और आनंद रूप हूँ।